Hindu Temple:अबु धाबी के बाद बहरीन मे भीं अब मंदिर

मनामा: भारत और दुनियाभर में इस समय अबूधाबी में बने भव्य मंदिर की चर्चा हो रही है, जिसका उद्घाटन करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी पहुंचे हैं। यूएई के बाद एक और मुस्लिम देश बहरीन में मंदिर बनने जा रहा है। ये मंदिर भी अबू धाबी के मंदिर की तरह विशाल होगा और इसे भी बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था यानी बीएपीएस भी बनाने जा रहा है। बीएपीएस के प्रतिनिधिमंडल ने बहरीन के शासक से मंदिर निर्माण को लेकर बैठक भी की है। बहरीन सरकार की ओर से मंदिर के लिए जमीन पहले ही अलॉट की जा चुकी है और अब निर्माण शुरू करने की औपचारिकताएं भी पूरी कर ली गई हैं।1 फरवरी 2022 को बहरीन के क्राउन प्रिंस सलमान बिन हमद अल खलीफा ने स्वामीनारायण हिंदू मंदिर बनाने के लिए जमीन आवंटित करने का ऐलान किया था। इसके बाद स्वामी अक्षरातीतदास, डॉ. प्रफुल्ल वैद्य, रमेश पाटीदार और महेश देवजी के प्रतिनिधिमंडल ने मंदिर की निर्माण को लेकर उनसे मुलाकात की है। बीएपीएस ने बताया है कि मंदिर का उद्देश्य सभी धर्मों के लोगों का स्वागत करना, विभिन्न सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए स्थान प्रदान करना है।

अबू धाबी के बाद अब बहरीन में भी मंदिर बनने जा रहा है। यह मंदिर भी बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) द्वारा बनाया जाएगा। बहरीन के क्राउन प्रिंस सलमान बिन हमद अल खलीफा ने मंदिर के लिए जमीन आवंटित कर दी है और निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होने वाला है।

यह मंदिर भी अबू धाबी के मंदिर की तरह भव्य होगा और इसमें कई देवी-देवताओं की मूर्तियां होंगी। मंदिर में एक सांस्कृतिक केंद्र भी होगा जहाँ योग, ध्यान और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।

यह मंदिर बहरीन में रहने वाले हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल होगा और यह बहरीन और भारत के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने में भी मदद करेगा।

यहां कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है
  • मंदिर का नाम: श्री स्वामीनारायण अक्षर पुरुषोत्तम मंदिर
  • स्थान: मनामा, बहरीन
  • भूमि का क्षेत्रफल: 20,000 वर्ग मीटर
  • निर्माण लागत: अनुमानित 200 करोड़ रुपये
  • निर्माण कार्य शुरू होने का समय: जल्द ही
  • मंदिर के मुख्य देवता: भगवान स्वामीनारायण, अक्षर पुरुषोत्तम

यह मंदिर बहरीन में रहने वाले हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और यह बहरीन सरकार की धार्मिक सहिष्णुता को दर्शाता है।

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